बैठा तूँ क्यूँ हताश घरों में ,
अच्छे दिन अब आने को हैं ,
बहुत जूझ लिया तूने वक्त से,
विपदा के बादल जाने को हैं I
मत हो तू निराश इस क़दर,
अपने ही मन को मीत किया,
दुनिया जिस आपदा से जूझ रही,
तूने है उसको जीत लिया I
आ रही है वो सुहानी सुबह ,
जिसे पाने को बेताब था तू,
काली रातों का हो गया है अंत ,
नई सुबह की अब किताब है तू I
मत सोच कि अब कल कैसा होगा ,
मुश्किल बहुत दिन ना आएँगे ,
विश्वास बिठा ले मन में तूँ प्यारे,
भरपूर ख़ुशियाँ यह लाएँगे I
महामारी को जो जीता है हमने ,
उज्ज्वल भविष्य हम बनाएँगे ,
हिम्मते मर्द मदद्दे ख़ुदा की सोच से
परचम भारत का विश्व में लहरायेंगे,
परचम भारत का विश्व में लहरायेंगे I